हमारे संवाददाता | विशेष इंटरव्यू
जिस समय सभी लोग स्कूल और कॉलेज में डिग्री की रेस में लगे रहते हैं उसी समय एक युवा खुद की जिम्मेदारी लेता है, और समाज को एक नई दिशा देने में लग जाता है जी हाँ हम बात कर रहे नेटवर्क मार्केटिंग में उभरते हुए एक सितारे, संजीव प्रजापति जी की , जो नेटवर्क मार्केटिंग के साथ-साथ भारत की ‘अपनी संस्कृति, विचारों, भारतीय आयुर्वेद आदि के उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत रहतें हैं ‘
जो धरा पुत्र का वध कर दे, वह राजपुरुष नकारा हैं,
जिस धरती पर किसान का रक्त गिरे उसका शासक हत्यारा हैं !
एक साधारण सी शख्सियत जिनकी 12 वीं तक की शिक्षा द्रोपदी इंटर कॉलेज, बदायूं (उत्तर प्रदेश) में हुई, कोई बड़ी डिग्री ना होने के बाद भी संजीव प्रजापति को उनके passion ने आगे बढाया ! संजीव चाहते तो पढाई के लिए कॉलेज की लंबी लाइन में लग सकते थे और अपनी जिंदगी के सबसे कीमती समय बड़े-बड़े शहरों के दमघोंट देने वाले कमरों में बिता देते जिसे मैं Golden Period of your life मानता हूं, लेकिन उन्होंने कुछ अलग करना पसंद किया,
मैंने कभी रॉकेट साइंस तो नहीं पढ़ा, लेकिन अपनी समस्याओं को कभी रॉकेट साइंस नहीं बनने दिया - संजीव प्रजापति
यह मेरे भारत का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है ? कि जब एक युवा जो कि जिंदगी में कुछ सृजित कर सकता था, उसे कभी ना खत्म होने वाली Race मे लगा दिया जाता है ! जहां एक ओर लोग भयानक रूप से बेरोजगारी का शिकार हो रहे , वही दूसरी ओर इन्हीं बेरोजगारों के मां -बाप की खून-पसीने की कमाई से कोचिंग संस्थान का वार्षिक Turnover करोड़ों रुपए हो जाता है !
संजीव प्रजापति चाहते तो अपने लिए नौकरी के लिए सरकार के सामने आरक्षण की भीख मांग सकते थे. लेकिन उन्होंने मांगने से बेहतर ठोकर खाकर कुछ सृजन करना ठीक समझा और खुद के दम पर नेटवर्क मार्केटिंग में अपनी पहचान बनाई !
जब भी कोई तुम्हारे लिए । दरवाजा बंद करे दे ,
उसे एहसास दिला कि कुंडी दोनों तरफ होती है !
एक साधारण सा लड़का जिसका कोई Family Back ground बड़े स्तर में नहीं है, अकेले ही निकल जाता है खुद की पहचान बनाने, न सिर्फ और नेटवर्क मार्केटिंग जैसे भीड़ वाले क्षेत्र में अपनी एक पहचान बनाता है, बल्कि नेटवर्क मार्केटिंग की किताबें भी लिख देतें हैं, संजीव को 12वीं से डायरी लिखने का शौक था. उन्होंने नेटवर्क मार्केटिंग के क्षेत्र की छोटी – छोटी बारीकियों को व्यक्तिगत तौर पर, इस क्षेत्र एवं विभिन्न क्षेत्रों के सफल लोगों से मिलकर उन सब से जो कुछ भी सीखा उसे किताबों के माध्यम से हिंदी भाषा में दो किताबें ”डायरेक्ट सेलिंग वायरल युग की शुरुआत” एवम् ”द सीक्रेट ऑफ नेटवर्क बिल्ड” लिखी !
रेल में नहीं अकेले में मिलूंगा !
मैं हर रोज अपनी किताबों में मिलूंगा !
”लॉकडाउन के वह 21 दिन”
इस समय जब सभी लोग lock-down को लेकर परेशान हैं, संजीव ने भारत के विभिन्न राज्यों के श्रेष्ठ विचारकों का संकलन तैयार किया है जो लोगों को इस कथिक समय में सकारात्मक रहने की प्रेरणा देगी ,15 सितंबर 2020 को प्रकाशित होनी है यह किताब ”लॉकडाउन के वह 21 दिन” I
मुझे लगता है की हमारे देश में एक तरह की वैचारिक क्रांति की जरुरत है, ‘जो सिर्फ नौकरीवाले लोगों को सम्मान देने’ की जो मानसिक गुलामी हमारे अंदर है इससे बाहर निकलना होगा और जिससे हम लाखों संजीव प्रजापति तैयार कर सकें, जो भारत को नई दिशा दे सकें !
जिस दिन आप भीड़ के पीछे भागना बंद करके, खुद को खोजने में लग जाएंगे, इस दुनिया की कोई ताकत आप को सफल होने से नहीं रोक पाएगी ! जिन लोगों नें इस बात को ठीक से समझ लिया उन्होंने ही इस दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाया जो अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय रही है।
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महान हस्तियां
धन्यवाद टीम........ आर्यावर्त इंसाईडर
ReplyDeleteNice sir
ReplyDeleteCongratulations Sanjeev
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