Aryavarta Insider
जून की चिलचिलाती गर्मी में, जनवरी की कपकपाती सर्दी में, बारिश में, कोहरे में अपने कार्य के प्रति सजग वो वर्दी पहने भारतीय पुलिस...
भारत देश का इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा है। इस मिट्टी के लिए करोड़ों लोगों ने स्वयं को बलिदान किया और वतन के लिए अपने फर्ज को पूरा किया। पत्रकार समाज की आंखे है और पुलिस समाज के साथ है और हम समाज के हाथ नहीं रोक सकते। कल ही मेरे एक मित्र का फोन आया और उसने अपने साथ हुई घटना को मुझे बताया कि उसका कल रात एक्सीडेंट हो गया जब वो अपने शहर से दूर किसी काम से रात को जा रहा था। वो रोड पर ऐसे ही पड़ा रहा। घर फोन किया तो परिवार वाले 100 किमी दूर थे। अब उसने 100 पर फोन किया और अचानक वो बेहोश हो गया। सुबह जब उसको होश आया तो वो अस्पताल में था। इस घटना से पूर्व वो पुलिस के खिलाफ रहता था। लेकिन अब वो पुलिस के प्रति बहुत आभारी है।
पुलिस भगवान का ही एक रूप है हमें जरूरत है तो बस अपना चश्मा साफ करने की, अपना नजरिया बदलने की। जिन लोगों ने अपने अंदर की इस देशभक्ति को जीवंत रखा उनको आज हम अपने समाज की सेवा करते पाते है। वो पुलिस वाले, वो डॉक्टर, वो सफाईकर्मी, वो सीमा पर सैनिक और ना जाने कितने समाज के अभिन्न अंग। जो समाज की जरूरतों को देखते हुए अपने सपनों का त्याग कर इस पेशे में आए है। लेकिन समाज ने पुलिस को क्या दिया? क्या वास्तव में वो पुलिस वाले जो पसीने से अपना मुंह धोते है जिस खाकी वर्दी के अंदर जो छुपा मानवता से परिपूर्ण दिल है, वो सम्मान के हकदार नहीं है?
वो पत्थरबाजी, वो गाली गलोज, उनका अपमान.. क्या वो पुलिस वाले इसी के लायक है? नहीं कभी नहीं। तो क्यों हम अक्सर कुछ असामाजिक लोगों की भीड़ में शामिल होकर हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर पुलिस वालो नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते है? क्या हम भूल चुके है कि वो इस समाज के ऐसे अंग है जिसके बिना समाज की प्रगति पर रोक लग जाएगी। जिसके बिना हर ओर जुल्म, कतल, मौत की घटनाए बढ़ जाएगी। क्यों अक्सर हम असामाजिक तत्वों को उनके मंसूबों को पूरी करने में सहयोग करते है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? जिम्मेदार समाज है और समाज आपसे है ना कि आप से समाज। इसलिए सभी पुलिस का सम्मान करे जो अपने परिवार की परवाह न करते हुए हमारी सेवा में हमेशा रहते है और राष्ट्र की प्रगति के लिए अप्रत्यक्ष और अमूल्य योगदान देते है।