भारत में मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या... विदेशी कंपनियों की बढ़ती मार्केट... वो आ रहे है की गूंज... जाग जाओ वो आ रहे है... सहसा में एक आवेग के साथ निंद्रा से जागा तो अपने फोन में आए सैकड़ों नोटिफिकेशन को देखा। ये क्या? 250 लोगों ने आज मुझे पसंद किया है।
हम भारतीय के विषय में कुछ विद्वानों का कहना है कि हम एक रेलगाड़ी के वो कुशल डिब्बे है जिनको कुशल नेतृत्व की आवश्यकता है। लेकिन क्या हो अगर डिब्बे को इंजन के गंतव्य के विषय में जानकारी ना हो और ऐसी स्थिति में एक सम्पूर्ण राष्ट्र के लोग उस सरफिरे लीडर की बात मान ले? आप अंदाजा लगा सकते हो कि स्थिति भयावह होगी।
यही आज वर्तमान आर्यावर्त में हो रहा है। हम ऐसे लोगों को अपना लीडर बना बैठे है जो दिखावटी लीडर है, जिनके चेहरे के पीछे चेहरा है। उन लीडर के पीछे भी मुखौटा लगाए कुछ लोग है और अंत में इन सबको नियंत्रित करने वाला लीडर चीन राष्ट्र के रूप में सामने आता है। यह एक विशेष प्रकार का युद्ध है जिसमें भारतीय युवाओं और संस्कृति को बर्बाद करने के लिए चीन अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भागेदारी निभा रहा है।
हम सभी पहले कुछ दिनों में सब्लीमिनल प्रोग्रामिंग के विषय में जान चुके है जो मस्तिष्क की विचार करने की क्षमता और अन्य चीजों को प्रभावित करती है। हम सोचते कुछ है, करते कुछ है और दिखाते कुछ है। हम राष्ट्र के नाम पर लड़ने मरने के लिए तैयार रहते है लेकिन यही हम टिक टोक के लिए भी करते है तो क्या हम चीन सरकार और कंपनी के पालतू वफादार कुत्ते हो चले है। हम अगर उस टिक टोक को चला रहे है तो हम देशद्रोही है।
टिक टॉक जैसी ऐप युवा पीढ़ी को अपने लक्ष्य से भटका रही है इसलिए यह कहना सही है कि यह एप युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। यह भारतीय समाज को बर्बाद करने और संस्कृति पर सीधा प्रहार है। हम जो देखते है हम उसी के अनुसार अपने कार्यकलाप करने लगते है। हमारा व्यवहार वैसा हो जाता है और अगर राष्ट्र को एक जंजीर के रूप में देखे तो राष्ट्र उतना ही मजबूत होगा जितना उसका सबसे कमजोर नागरिक अर्थात सबसे कमजोर कड़ी।
हमको अश्लीलता से परिपूर्ण चीजों को दिखाया जाता है और यह भी एक आगामी मानसिक युद्ध का आगाज है जिसको चीन अंजाम दे रहा है। अब देखना यह है कि कितने लोग इसको पढ़कर अपने मुखोटे को उतार कर टिक टोक को अलविदा कहते है।